👶 बच्चों के लिए आयुर्वेदिक देखभाल
आयु अनुसार देखभाल:
0-1 वर्ष (शिशु):
- मालिश: रोज सरसों या बादाम के तेल से (सर्दी में सरसों, गर्मी में नारियल)
- जन्म के तुरंत बाद: शहद + घी (स्वर्णप्राशन संस्कार)
- पेट दर्द/गैस: हींग + पानी पेट पर लगाएं
- माँ का दूध: पहले 6 महीने केवल स्तनपान
- दांत निकलना: मुलेठी की जड़ चूसने के लिए दें
- सर्दी-खांसी: माँ के दूध में थोड़ा अजवाइन का अर्क
1-5 वर्ष (बाल्यावस्था):
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: च्यवनप्राश (1/2 चम्मच रोज)
- पाचन: हिंगवाष्टक चूर्ण (चुटकी भर भोजन के साथ)
- बुखार: तुलसी + अदरक का काढ़ा
- खांसी: शहद + हल्दी
- भूख न लगना: अजवाइन का पानी भोजन से पहले
- कब्ज: इसबगोल + गर्म दूध रात में
5-16 वर्ष (किशोरावस्था):
- मानसिक विकास: ब्राह्मी, शंखपुष्पी (परीक्षा के समय)
- शारीरिक विकास: अश्वगंधा + दूध (10 वर्ष के बाद)
- त्वचा (मुंहासे): नीम + हल्दी का लेप
- मासिक धर्म: लड़कियों के लिए शतावरी
- हड्डियां मजबूत: कैल्शियम युक्त भोजन + सूर्य स्नान
🏅 स्वर्ण प्राशन (Suvarna Prashan):
यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रथा है जिसमें बच्चों को सूक्ष्म मात्रा में सोना (स्वर्ण भस्म) + घृत + शहद + जड़ी-बूटियां दी जाती हैं।
लाभ:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है (कम बीमार पड़ेंगे)
- बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास
- शारीरिक विकास और बल वृद्धि
- त्वचा में निखार
- वाणी का विकास
- पाचन तंत्र मजबूत
कब दें:
• प्रतिदिन: 30 दिनों के लिए - उत्तम परिणाम
• पुष्य नक्षत्र: महीने में 1 बार (27-28 दिनों में एक बार)
• जन्म से 16 वर्ष तक दे सकते हैं
⚠️ नोट: स्वर्ण प्राशन केवल प्रमाणित आयुर्वेदिक चिकित्सक या क्लिनिक से ही लें। घर पर न बनाएं।
सामान्य बाल रोग और घरेलू उपचार:
🤧 सर्दी-जुकाम:
- तुलसी + अदरक + शहद का काढ़ा
- छाती पर सरसों का तेल + अजवाइन गर्म करके लगाएं
- भाप (गर्म पानी में अजवाइन डालकर)
🤒 बुखार:
- तुलसी + काली मिर्च का काढ़ा
- गिलोय का रस (5-10 ml)
- माथे पर चंदन का लेप
😖 पेट दर्द/गैस:
- हींग + गर्म पानी (नाभि के आसपास लगाएं)
- अजवाइन + सेंधा नमक + गर्म पानी
- सौंफ का पानी
💩 कब्ज:
- इसबगोल + गर्म दूध (रात में)
- त्रिफला चूर्ण (बड़े बच्चों के लिए)
- अंजीर (रात भर पानी में भिगोकर सुबह खिलाएं)
😴 अनिद्रा/बेचैनी:
- पैरों की तलवे में घी की मालिश
- गर्म दूध + जायफल (चुटकी भर)
- ब्राह्मी तेल से सिर की मालिश
🪱 पेट के कीड़े:
- नीम की पत्तियां (खाली पेट)
- अजवाइन + गुड़
- लहसुन + दूध (बड़े बच्चों के लिए)
🦷 दांत दर्द:
- लौंग का तेल (प्रभावित दांत पर)
- नमक + सरसों का तेल (मसूड़ों पर मलें)
- हल्दी + सरसों का तेल
🩹 घाव/खरोंच:
- हल्दी + नीम का लेप
- घृतकुमारी (Aloe Vera) जेल
- नारियल तेल + कपूर
⚠️ सावधानियां:
- बच्चों को जड़ी-बूटियां देने से पहले वैद्य से परामर्श लें
- खुराक बच्चे की उम्र और वजन के अनुसार समायोजित करें
- कड़वी या तीखी चीजें शहद या मिश्री के साथ दें
- अगर 2-3 दिन में सुधार न हो तो डॉक्टर से मिलें
- नवजात शिशुओं (0-6 महीने) को केवल माँ का दूध
⚠️ महत्वपूर्ण अस्वीकरण
यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है और व्यावसायिक चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक उपचार या औषधि को शुरू करने से पहले हमेशा योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लें। गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, बच्चे और दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को विशेष रूप से चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता है।
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